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Shayari

Shaayari is a form of Urdu poetry that is widely used in Pakistan and India. It is typically written in a poetic form and often contains emotional or romantic content. Shaayari can be written in a number of different literary styles, and it is often used as a form of self-expression. It is known for its beautiful and poetic language, and its ability to capture the emotions of love, loss, and hope.

Shayari is a type of Urdu poetry that originated in the Indian subcontinent. The word shayari comes from the Arabic word sha’ir, which means “poet.” Shayari is used to express a wide range of emotions, from love and longing to sorrow and anger. Shayari can be written in either English or Hindi, and it is often used in literature, films, and music. Shayari can be in categorized in different forms like – sad shayari, love shayari, happy shayari, romantic shayari, attitude shayari etc.

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अपने हाथों से यूं चहरे को छुपाते क्यों हो मुझ से शर्माते हो तो सामाने आते क्यों हो तुम कभी मेरी तरह कर भी लो इक़रार-ए-वफ़ा प्यार करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यों हो

जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है

मुझको तुम खुद में छुपाओ तो छुपाना ऐसे… किसी सागर में हों लहरों की पनाहें जैसे

मेरे दर्द ने मेरे ज़ख्मों से शिकायत की है, आँसुओं ने मेरे सब्र से बगावत की है, ग़म मिला है तेरी चाहत के समंदर में, हाँ मेरा जुर्म है कि मैंने मोहब्बत की है।

तुझे जब देखता हूँ तो खुद अपनी याद आती है, मेरा अंदाज़ हँसने का… कभी तेरे ही जैसा था।

बहुत जुदा है औरों से मेरे दर्द की कैफियत, ज़ख्म का कोई पता नहीं और तकलीफ की इन्तेहाँ नहीं।

देने आये हैं मेरे दर्द की कीमत मुझको, इतने हमदर्द हैं न जाने क्यों लोग मेरे।

वो आज खूने-दिल से मेंहदी लगाये बैठे हैं, सारे किस्से मेरे दिल से लगाये बैठे हैं, ख़ामोशी में भी एक शोर है उनकी, सुर्ख जोड़े में खुद को बेवा बनाये बैठे हैं।

अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई, तो दर्द का हिसाब क्यूँ रखूं। नसीहत अच्छी देती है दुनिया, अगर दर्द किसी ग़ैर का हो।

गुलशन की बहारों पे सर-ए-शाम लिखा है, फिर उस ने किताबों पे मेरा नाम लिखा है, ये दर्द इसी तरह मेरी दुनिया में रहेगा, कुछ सोच के उस ने मेरा अंजाम लिखा है।

मिल ही जायेगा कोई ना कोई टूट के चाहने वाला… अब शहर का शहर तो बेवफा नही होगा,

वो मिली भी तो क्या मिली,बनके बेवफा मिली,इतने तो मेंरे गुनाह ना थे,जितनी मुझे सजा मिली,

इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ

इतने जख्म खाये हुवे है,अब इश्क़ भी होता नही,डर लगता है इस जमाने मे,कही सब बेवफा तो नही,

जीवन एक दर्पण की तरह है, यदि आप उस पर मुस्कुराते हैं तो यह भी आपको मुस्कान देगा ,

हमेशा खुश रहना चाहिए क्योंकि  परेशान होने से कल की मुश्किल दूर नहीं होती बल्कि… आज का सुकून भी चला जाता है,

खड़े-खड़े साहिल पर हमने शाम कर दी, अपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दी, ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगी, बिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी,

नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए सनम, मेरी पहली और आखिरी आरज़ू बस तुम हो,