आप बहुत ज्यादा दुखी हो या किसी के दूर जाने के गम में हो तो आप शायरी की मदद से अपने दिल के अल्फाजो को उस व्यक्ति तक पहुंचा सकते हो जिससे आप बिछड़े हो | कभी -कभी हम किसी के दूर हो जाने पर उसकी याद में काफी दुखी हो जाते है और किसी को भी अपने दिल की भावना नही बता पाते है और हमे काफी तकलीफो का सामना करना पड़ता है जिससे की हमरा दुःख और बढ़ता जाता है जिंदगी में कभी ना कभी ऐसा मोड़ आता ही है जिसमे हम बहुत सी तकलीफो का सामना करते है कभी किसी से बिछड़ने का दुःख कभी हरने का दुःख किसी की याद का दुःख ऐसी की परेशानियों को अगर झेल रहे होते है ऐसे समय में Very Sad Shayari In Hindi आपकी मदद करेगी जो की हम आपके लिए लेकर आए है
जिससे की आप अपने दुःख को दुसरो तक पहुंचा सकते हो जीवन मे आप दुखी होते होंगे क्योकि लाइफ मे सभी के पास दुःख आता जाता है और हम यह देखते रहते है कि उसको अपना दुःख कैसे बांटे इसलिए यह इंस्टाग्राम पर व्हाट्सप्प और फेसबुक पर शायरी देखते रहते हो यहाँ पर आप कुछ नहीं करना सिर्फ हमारी website आये और यहाँ पर आपको सब कुछ मिलेगा ओर अपना दुःख सुख सब कुछ व्यक्त कर सकते हो और इसमें आपको और भी बहुत कुछ मिलेगा समझो बाजार मे गए एक ही जगह सारा सामान मिल जाना ज़िंदगी मे सुख दुःख चलता रहता है
एक तरफा महोब्बत दर्द तो बहुत देती है पर
ये कभी खत्म नही होती बढ़ती ही रहती है,
मरज़-ए-इश्क़ को शिफ़ा समझे
दर्द को दर्द की दवा समझे
दर्द हो दुख हो तो दवा कीजिये
फट पड़े आसमाँ तो क्या कीजिये
ये दिल बुरा सही सर-ए-बाज़ार तो न कह,
आख़िर तु इस मक़ान में कुछ दिन रहा तो है
साँस लेने में दर्द होता है अब
हवा ज़िंदगी की रास नहीं
जख्म कहाँ कहाँ से मिले है छोड़ इन बातों को
जिंदगी तू तो बता सफर और कितना बाकी है,
सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा मैं
ने दुनिया छोड़ दी जिन के लिए
इक उम्र तक में उस की ज़रूरत बना रहा
फिर यूँ हुआ कि उस की ज़रूरत बदल गई
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी,
सालो गुजर गए रोकर नहीं देखा आँखों में नींद थी
सोकर नहीं देखा वो क्या जाने दर्द मोहब्बत का
जिसने कभी किसी को खोकर नहीं देखा
और क्या देखने को बाक़ी है आप
से दिल लगा के देख लिया
सोचता था दर्द की दौलत से में ही मालामाल हु
देखा जो गोर से तो हर कोई रईस निकला,
आज क्या जाने क्या है होने को
जी बहुत चाहता है रोने को
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
जहाँ खामोश फिजा थी, साया भी न था हमसा कोई किस जुर्म
में आया भी न था न जाने क्यों छिनी गई
हमसे हंसी हमने तो किसी का दिल दुखाया भी न था
सो जाइये सब तकलीफो को सिराहने रखकर
क्योकि सुबह उठते ही इन्हें फिर गले लगाना है,
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं
हमारा कसूर बस इतना था अपनी हर तकलीफ
ए अहसास छोड़ दिए सहारे उसके
जिसके दिल में बस सांसे चलती है
यह जो चेहरे से तुम्हें लगते हैं बीमार से हम,खूब रोये हैं
लिपट कर दर -ओ -दीवार से हम,रंज हर रंग के झोली में भरे हैं
हम ने,जब भी गुज़रे हैं किसी दर्द के बाजार से हम
शर्त थी रिश्तों को बचाने की और
यही वजह थी मेरे हार जाने की.
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब
मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं
तेरे ना होने से बस इतनी सी कमी रहती है
मै लाख मुस्कुराऊ आखो मे नमी सी रहती है
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है इंकार करने पर
चाहत का इकरार क्यों है उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में
शायद फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था में बच भी जाता
तो मरने वाला था मेरा नसीब मेरे हाथ कट गए
वरना में तेरी मांग में सिन्दूर भरने वाला था
आख़िरी वक़्त है आख़िरी साँस है ज़िंदगी की है शाम
आख़िरी आख़िरी,कल तो दुल्हन बनोगी किसी और
कि,आज ये मुलाकात है आख़िरी आख़िरी,
तुझसे बिछड़ के जीने की आदत नही रही
बस जी रहे है जीने की हसरत नही रही,
मन भटकता रहा उम्र के गांव में दो लम्हे न मिले
जुल्फ की छांव में मौन होकर पिया जिंदगी भर
जहर आह तक भी न निकली हृदय से मगर
जीवन यदि विष का प्याला है तो शंकर बनकर पी लूंगा
तुमसे मिलने की चाह लिए सारा जीवन में जी लूंगा
बहुत पास रहते हो फिर भी युग बीते तुमको देखे बिन
तुम बिन रातें है जंगल सी पर्वत से लगते है ये दिन
मन चाहा गर साथ न हो तो जीना भी मरना है
मरने के खातिर ही जीना जीना भी मरना है
हमने जब मुस्कान बिखेरी सारे जग ने साथ निभाया
लेकिन जब हम घुट-घुट रोये कोई भी तब पास न आया
चाँदनी का बदन चाँद छूता है जब तब निगाहों से शोले
उगलते है हम रात शहनाई जब दूर बजती कहीं
रात भर करवटे तब बदलते है हम
आजकल ऐसी रात होती है चाँद तारो से बात होती है
उन दिनों की न ऐसे बात करो सुनके तबियत उदास होती है
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
इस उड़ान पर अब शर्मिंदा, में भी हूँ और तू भी है
आसमान से गिरा परिंदा, में भी हूँ और तू भी है
छुट गयी रस्ते में, जीने मरने की सारी कसमें
अपने-अपने हाल में जिंदा, में भी हूँ और तू भी है
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हे मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं
लेकिन तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ
ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है
ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है
अजब सी कशमकश है,रोज़ जीने, रोज़ मरने में
मुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है
नज़र में शोखियाँ लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है कई जीते है
दिल के देश पर मालूम है मुझको सिकन्दर हूं
मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है,
मिल गया था जो मुक़द्दर वो खो के निकला हूँ में एक लम्हा हु
हर बार रो के निकला हूँ राह-ए-दुनिया में मुझे कोई भी दुश्वारी
नहीं में तेरी ज़ुल्फ़ के पेंचो से हो के निकला हूँ
सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है,
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा,
जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुरानी है
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते मगर रस्मे-वफ़ा ये है
कि ये भी कह नहीं सकते जरा कुछ देर तुम उन
साहिलों कि चीख सुन भर लो जो लहरों में
तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते
समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नहीं सकता ये
आँसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता मेरी
चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता
अच्छी है कभी-कभी की दूरी भी सखी इस तरह मुहब्बत
में तड़प आती है कुछ और भी वो चाहने लगते हैं
मुझे कुछ और भी मेरी प्यास बढ़ जाती है
चुप हुँ तो पत्थर न समझ मुझे दिल पर
असर हुआ है, किसी अपने की बात का
ठुकराया हमने भी बहुतो को है तेरी खातिर तुझसे
फासला भी शायद उनकी बद्दुवाओ का असर है
हम करवटे बदलते रहे,
और चांद सुरज हो गया
जो जिंदगी है वो
जिंदगी में नही है
जाहिर हो जाये वो दर्द कैसा खामोशी
ना समझ पाए वो हमदर्द कैसा
तुम मोहब्बत भी मौसम की तरह निभाते हो
कभी जम के बरसते हो,कभी एक बूंद को तरसाते हो
मौत का भी इलाज हो शायद
ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं
ज़िंदगी शायद इसी का नाम है
दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ
यूँ तो मरने के लिए ज़हर सभी पीते हैं
ज़िंदगी तेरे लिए ज़हर पिया है मैं ने
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन
दो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है
कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं
ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका
दर्द बढ़ कर दवा न हो जाए
ज़िंदगी बे-मज़ा न हो जाए
इश्क़ को एक उम्र चाहिए और
उम्र का कोई एतिबार नहीं
माँगी थी एक बार दुआ हम ने मौत की
शर्मिंदा आज तक हैं मियाँ ज़िंदगी से हम
मौत ही इंसान की दुश्मन नहीं
ज़िंदगी भी जान ले कर जाएगी
ज़िंदगी से तो ख़ैर शिकवा था
मुद्दतों मौत ने भी तरसाया
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