Jumma Mubarak Shayari: Sharing heartfelt and soulful Shayari (poetry) in honour of Jumma, also known as Friday in the Islamic calendar. This page curates a collection of beautifully crafted Jumma Mubarak Shayari that captures the spiritual significance and blessings of Jumma, a special day for Muslims. Whether it’s invoking prayers, expressing gratitude, or reflecting on the serenity of this blessed day, the page offers a brief yet profound glimpse into the essence of Jumma Mubarak through the art of Shayari. Join us in celebrating the sacredness of Fridays with our evocative Shayari.
Jumma Mubarak Shayari
इन्सान का मुक़द्दर उतनी बार बदलता है,
जितनी बार वो अपने रब से दुआ करता है..!! जुम्मा मुबारक
सर झुकाने की खूबसूरती भी क्या कमाल की होती हैं,
धरती पर सर रखों और दुआ आसमान में कुबूल हो जाती हैं..!! जुम्मा मुबारक
दुआ माँग लिया करो दवा से पहले,
कोई नही देता शिफ़ा खुदा से पहले..!! जुम्मा मुबारक
ऐ ख़ुदा मौका देना सफर-ए-मक्का का,
सुना है जन्नत जैसा नजारा है वहाँ का..!! जुम्मा मुबारक
खुशिया, इज्जत, सुकुन और प्यार,
ये चार चीजें ज़िन्दगी को ख़ूबसूरत बनती हैं,
अल्लाह आप की ज़िन्दगी में किसी की भी कमी ना करे..!! जुम्मा मुबारक
ए खुदा इस रमजान लोगो के दिलो में अमन जगा दे
लोगो के दिलो से अहंकार और क्रोध को मिटा दे..!! जुम्मा मुबारक
जो किस्मत में न हो वोह रोने से नहीं मिलता,
मगर दुआ से मिल जाता है..!! जुम्मा मुबारक
तू अगर मुझे नवाजता है तो ये तेरा करम है या रब,
वरना तेरी रहमतो के काबिल मेरी बंदगी नहीं..!! जुम्मा मुबारक
पूरा जीवन बीत जाएँ ख़ुदा की बंदगी में,
पाँचों वक्त का नमाज अदा करू जिंदगी में..!! जुम्मा मुबारक
कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ,
कि ख़ुदा नूर भी बरसाता है आजमाइशों के बाद..!! जुम्मा मुबारक
आज है रमजान का आखिरी जुम्मा,
अल्लाह हम सब की दुआएं कुबूल करना..!! जुम्मा मुबारक
ए खुदा बस यही गुजारीश है तुम से,
धन बरसे या ना बरसे पर, रोटी या प्यार को कोई ना तरसे..!! जुम्मा मुबारक
इस्लाम जैसा कोई मजहब नहीं,
नमाज़ जैसी कोई इबादत नहीं और जुमा जैसा कोई दिन नहीं..!! जुम्मा मुबारक
जुम्मा मुबारक शायरी
फना इतना हो जाऊँ मैं तेरी ज़ात पर ए अल्लाह,
जो मुझे देख ले, उसे तुझसे मोहब्बत हो जाय..!! जुम्मा मुबारक
सुकून क्या है ये सिर्फ,
अल्लाह के आगे झुकने वाले जानते है..!! जुम्मा मुबारक
कयामत तक रहे सर मेरा सजदे में या रब,
के तेरे नेमतों के शुक्र के लिए यह ज़िंदगी काफी नहीं..!! जुम्मा मुबारक
दिलों के झूकने से होते है आबाद घर खुदा के,
सिर्फ सजदों से नहीं सजती वीरान मस्जोदें कभी..!! जुम्मा मुबारक
इस जुम्मे में आपकी दुआएं हो जाएगी कबूल
एक बार खुदा के सजदे में दिल तो लगाओ..!! जुम्मा मुबारक
रब से जब भी मांगो रब को ही मांगो,
जब रब तुम्हारा होगा तो सब तुम्हारा होगा..!! जुम्मा मुबारक
इबादत वो है जिसमे ज़रूरतों का ज़िक्र न हो,
सिर्फ उसकी रेहमतों का शुक्र हो..!! जुम्मा मुबारक
तुम अल्लाह को याद रखों अल्लाह तुम्हे याद रखेगा,
हर किसी के लिए दुआ किया करों..!! जुम्मा मुबारक
धेरों को नूर देता हैं, उसका जिक्र सुरूर देता हैं,
उसके दर पर जो भी मांगता हैं खुदा उसे जरूर देता हैं..!! जुम्मा मुबारक
काश उनको भी याद आऊ मैं जुम्मा की दुआओं में,
जो अक्सर मुझसे कहते है दुआओं में याद रखना..!! जुम्मा मुबारक
मेरी खाली झोली में दुआ के अल्फाज़ डाल दो,
क्या पता तुम्हारे होठ हिले और मेरी तकदीर संवर जाए..!! जुम्मा मुबारक
Jumma Mubarak Status
दुआओं में सबकी खुशिया माँग लिया करो,
जो दुआ नहीं पढ़ते है उनकी भी तकदीर संवार दिया करों..!! जुम्मा मुबारक
जब तुम्हें यकीन हो के खुदा हमेशा तुम्हारे साथ है,
तो फिर कोई फ़र्क नहीं पड़ता के कौन तुम्हारे खिलाफ है..!! जुम्मा मुबारक
अंधेरों को नूर देता है, उसका ज़िक्र सुरूर देता है,
उसके दर पर जो भी मांगता है, खुदा उसे ज़रूर देता है..!! जुम्मा मुबारक
कब से तेरी राह तकते-तकते मेहमान तेरे घर से चला गया
कैसे इश्क का मसीहा है तू कोई मायूस होकर तेरे दर से चला गया..!! जुम्मा मुबारक
आज कितना खूबसूरत यह दिन आया है
मेरे अपनो के लिए रमजान की दुआ लाया है..!! जुम्मा मुबारक
ऐ अल्लाह एक मौका हमको भी दे सफ़र-ए-मक्का का,
सुना है तेरे घर और जन्नत में कोई फर्क नहीं..!! जुम्मा मुबारक
जब रब राजी होने लगता है, तो बन्दे को अपने ऐबों का पता चलना शुरू हो जाता है,
और ये उसकी रहमत की पहली निशानी है..!! जुम्मा मुबारक
दुआ लफ़्ज़ों से नहीं, दिल से होनी चाहिए,
क्यूंकि खुदा उनकी भी सुनता है, जो बोल नहीं सकते..!! जुम्मा मुबारक
इश्क़ करना है तू अपने अल्लाह से कर
जहाँ न जुदाई है, न बे वफ़ाई, न रुस्वाई..!! जुम्मा मुबारक
Few last Words
In conclusion, our “Jumma Mubarak Shayari” is your destination for discovering and enjoying heartfelt Shayari dedicated to the blessed day of Jumma. Through the power of poetry, we aim to inspire reflection, gratitude, and spiritual connection on this special day. Join us in embracing the beauty of Jumma and its significance through the artistry of Shayari. Wishing you continued blessings and a spiritually enriching journey with us. Jumma Mubarak!